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Friday, March 8, 2024

पुनर्चक्रित प्लास्टिक की जहरीली सच्चाई का खुलासा

 


प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक संकट बन गया है, हमारे पर्यावरण में प्लास्टिक की सार्वभौमिक उपस्थिति से पारिस्थितिकी तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।

लंबे समय से इस संकट को कम करने के समाधान के रूप में पुनर्चक्रण की सराहना की जाती रही है, लेकिन हाल के अध्ययनों ने पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक के एक काले पक्ष - जहरीले रसायनों की उपस्थिति - पर प्रकाश डाला है।

पुनर्चक्रित प्लास्टिक, जिसे अक्सर एक टिकाऊ विकल्प माना जाता है, में हानिकारक रसायन हो सकते हैं जो पुनर्चक्रण प्रक्रिया के दौरान बने रहते हैं। ये रसायन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए जोखिम पैदा करते हैं, जो कड़े नियमों और टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।

अध्ययनों से पुनर्चक्रित प्लास्टिक उत्पादों में जहरीले रसायनों की मौजूदगी का पता चला है, जो सुरक्षित विकल्पों को अपनाने के महत्व पर जोर देता है। प्लास्टिक रीसाइक्लिंग से उत्पन्न चुनौतियाँ, जैसे डाउनसाइक्लिंग और हानिकारक पदार्थों का निक्षालन, इन मुद्दों के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करती हैं।

अनौपचारिक पुनर्चक्रण प्रथाएं स्थिति को और जटिल बनाती हैं, जिससे पुनर्चक्रणकर्ताओं और उपभोक्ताओं दोनों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा मानदंडों और विनियमों को लागू करने की आवश्यकता पर बल मिलता है। पुनर्चक्रित प्लास्टिक की सुरक्षित हैंडलिंग सुनिश्चित करने के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों में अनौपचारिक क्षेत्रों का एकीकरण महत्वपूर्ण है।

जैसे-जैसे हम "द प्लास्टिसिन" के युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहां प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक की जहरीली सच्चाई का सामना करना जरूरी है। जागरूकता बढ़ाकर, टिकाऊ प्रथाओं की वकालत करके और प्रभावी नियमों को लागू करके, हम अपने ग्रह और खुद के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं।

आइए पुनर्चक्रित प्लास्टिक की जहरीली सच्चाई को उजागर करने के लिए हाथ मिलाएं और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के प्रति जागरूक दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त करें।

हम सभी मिलकर कुछ अलग कर सकते हैं।

Dr. Prashant Rajankar, 

ESH Foundation, Nagpur

Friday, July 26, 2019

सब्जी के साथ आपको क्या फ्री मिलता है? "धनिया"' No....No....No...

सब्जी के साथ आपको क्या फ्री मिलता है?

शायद आपका जवाब  होगा  "धनिया"'
थोड़ी देर के लिए मान भी लेते है, लेकिन सच्चाई कुछ है, क्यूंकि सी. इस. आई. आर - नीरी  (CSIR - NEERI) की ताज़ा रिसर्च की  माने तो दिल्ली में बिक रही कई सब्जियों में कई हानिकारक तत्व पाए गए है, जैसे की सीसा (lead), मरकरी (Hg) निकल, और कैडमियम जो की हेवी मेटल्स है और lead, mercury तो WHO की हानिकारक तत्वों  की लिस्ट में भी शामिल है। 

हलाकि टॉक्सिक्स लिंक* की स्टडी जो २०१४  गयी थी उसमे यमुना के मिटटी  में हेवी मेटल्स पाए गए थे, उसके बाद २०१५ में NGT (नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ) ने यमुना फ्लडप्लेन में सब्जियों एवं जानवरो के खाने योग्य उपज करने के लिए बैन लगाया था उसके बावजूद भी वहां अगर सब्जिया उगाई जा रही है तो हमे सावधान होना चाहिए। 

NEERI के स्टडी के अनुसार धनिया, और अन्य सब्जियों में सीसा का लेवल FSSAI के स्टैण्डर्ड से ज्यादा मिला है हलाकि जब तक स्टडी हुआ होगा तबतक कई लोगो  में यह हानिकारक तत्व पहुंच गए होंगे। 

दिल्ली वालो के लिए तथा अन्य जगहों में जहा अगर जहरीले पानी से सब्जियों की खेती होती है तो उन सभी लोगो यह बहोत गंभीर बात है 

इससे कैसे बच सकते है, इसका समाधान ढूंढ़ना आवश्यक है। 

read this -  (How to reduce chemical exposure in fruits and vegetables?) 
https://prashantrajankar.blogspot.com/2019/04/how-to-reduce-chemical-exposure-in.html

सामान्यतः  हमारा शरीर तरह के तत्वों पे रिएक्ट करता है,  बार उन्हें शरीर से बाहर कर देता है लेकिन अगर लगातार यह तत्व शरीर में आते है तो इसके विपरीत परिणाम दिखना शुरू हो जाता है। 
यह  पहले तो पेट के माध्यम से खून में जाता है, उसके बाद सॉफ्ट tissues (ब्रेन, किडनी, लंग्स, इ.) और lead जैसे तत्व bones में भी जाते सकते है।  

हेवी मेटल्स के गंभीर परिणाम 
- एनर्जी लेवल को करना 
- ब्रेन के फंक्शन को हानी पहुंचना 
- लंग्स के फंक्शन को हानी पहुंचना 
- किडनी के फंक्शन को हानी पहुंचना 
- लिवर के फंक्शन को हानी पहुंचना
- ज्यादा मात्रा में lead लेवल हो तो कोमा  सकते है 
- कैंसर जैसी घातक बीमारी भी  है। 

यह परिणाम दिखने से पहले कुछ लक्षण जैसे की ( पेट दर्द, सर दर्द, उलटी आना, बच्चो में भूख न लग्न, पढाई में ध्यान न लग्न, चिड़चिड़ापन)दिखाई पड़ते है उन्हें वह अगर ध्यान में आये तो उससे बचा जा सकता है. 

Sources 

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