Monday, February 27, 2017

Why do we need Air Purifier ??

Hello Friends,

Human are very intelligent, he has the ability to find the solution for every problem, sometimes beyond imaginations. But if he really acted well on a problem then it is possible to tackle that on the spot it occurs and no need to put efforts to find an alternative solution.

A recent example is air pollution and AIR Purifiers.
We as a human being are responsible for air pollution, each one of us knew very well the source and the causes of it (no need to explain it separately) still, we are not acting on it (except some agencies, and individuals). Every day we speak on it and just go away keeping the problem unsolved. Sometime we also one of the contributors in it.
Now many companies came up with some air purifier, see the tragedy
We are doing some activities (vehicular pollution, industrial, burning, cooking, etc.) and polluting our surrounding air which will become unhealthy and the same air we breathe every day.
Some of us afford the air purifier and it might again contribute to air pollution (it can be clear if someone does the life cycle assessment of the instrument). So the situation is unresolved but who is earning "a company". (I am not against any company but if it related to the environmental hazard then one must think about saving environment and not only the profits).
Instead of that, if everyone takes this responsibility and contribute to keep our air clean (rather environment clean) it will be a healthy future for everyone.

Wednesday, February 22, 2017

Be aware with Endocrine Disrupting Chemicals

Dear All,
We are surrounded with the chemicals called Endocrine disruptors, these are chemicals that, at certain doses, can interfere with endocrine (or hormone) systems. These disruptions can cause cancerous tumors, birth defects, and other developmental disorders. 

Monday, February 13, 2017

Air pollution increases risk of childhood obesity and diabetes

Air pollution increases risk of childhood obesity and diabetes There is increasing evidence for the role of environment in pathogenesis in many diseases. Children below 5 years of age and adults older than 50 years are most at risk. A global assessment of the burden of disease from environmental risks by the WHO has shown that 23% of global deaths and 26% of deaths among children under five are due to modifiable environmental factors. The harmful effects of air pollution on respiratory health are well-known to us and well-established. Air pollution has been linked to many noncommunicable diseases such as cardiovascular diseases, obesity, cancers and type 2 diabetes. A new study has again underscored the dire need for a healthier environment. This study has suggested that exposure to ambient air pollution may contribute to development of type 2 diabetes through direct effects on insulin sensitivity and β-cell function. The study reported in the January 2017 issue of the journal Diabetes investigated whether exposure to elevated concentrations of nitrogen dioxide (NO2) and particulate matter (PM 2.5) had adverse effects on longitudinal measures of insulin sensitivity, β-cell function, and obesity in children at high risk for developing diabetes. Although this was not a cause and effect study, an association between air pollution and risk of obesity and type 2 diabetes in children was observed in the study. • Higher NO2 and PM2.5 were associated with a faster decline as well as a lower insulin sensitivity at age 18 independent of adiposity. • NO2 exposure negatively affected β-cell function evidenced by a faster decline in disposition index (DI) and a lower DI at age 18. • Higher NO2 and PM2.5 exposures over follow-up were also associated with a higher BMI at age 18. (Source: WHO, Diabetes 2017 Jan; db161416. https://doi.org/10.2337/db16-1416) Dr KK Aggarwal National President IMA & HCFI

Thursday, January 12, 2017

स्लो प्वाइजन हैं ये 10 फूड, कम खाएं या बिल्कुल छोड़ दें !

शक्कर: इसे खाने से लीवर में गलाइकोजन की मात्रा कम होती है, जिससे मोटापा, थकान, माइग्रेन, अस्थमा और डायबिटीज बढ़ सकती है, ज्यादा खाने से बुढ़ापा जल्दी आता है

अंकुरित आलू :-  इसमे ग्लाइकोअल्केलाइड्स होते है जिससे डायरिया हो सकता है, इसी तरह के आलू लगातार खाने से सिर दर्द या बेहोशी हो सकती है

राजमा :- कच्चे राजमा में ग्लाईकोप्रोटीन लेकितन होता है जिससे उलटी या इनडाईजेशन की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है. इसलिये राजमा को हमेशा अच्छी तरह उबालकर खाना चाहिए

कोल्ड ड्रिंक :- इसमे शक्कर और फास्फोरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है, ज्यादा कोल्ड ड्रिंक पिने से ब्रेन डैमेज या हार्ट अटैक हो सकता है, और इससे बड़ी आंत तक सड जाती है अमिताभ बच्चन के साथ यही हुआ था

मैदा :- मैदा बनाने की प्रोसेस में फाइबर निकल जाते है, ज्यादा मैदा खाने से लगातार पेट की प्रॉब्लम होती है. इसमे बलिचिंग एजेंट होते है. जो खून पतला करते है और हार्ट प्रॉब्लम बढ़ाते है.

आयोडीन नमक :- इसमे सोडियम की मात्रा अधिक होती है, ज्यादा खाने से हाई BP की संभावना बढती है जिससे हार्ट अटैक हो सकता है. इससे कैंसर और आस्तियोपोरोसिस के चांस बढ़ते है

जायफल:- इसमे myristicin होता है जिससे बार – बार हार्ट रेट बढती है, उलटी और मुह सूखने की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है. ज्यादा खाने से ब्रेन पॉवर कम होती है.

फ़ास्ट फ़ूड :- इसमे  मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है जिससे ब्रेन पॉवर कम होती है और मोटापा तेजी से बढ़ता है. साथ ही हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ता है.

मशरूम :- कच्चे मशरूम में कार्सिनोजेनिक कंपाउंड होते है जिससे कैंसर के चांस बढ़ते है इसलिये मशरूम को अच्छी तरह उबालने के बाद ही यूज़ करना चाहिए.

हार्ट अटैक से एक महीने पहले आपकी बॉडी देती है वॉर्निंग, नज़रअंदाज़ ना करें ये लक्षण



भारत समेत दुनिया भर में सबसे ज़्यादा मौतें हृदयाघात या हार्ट अटैक से होती हैं। ऐसा माना जाता है कि अटैक से कुछ समय पहले ही इसके संकेत मिलना शुरू हो जाते हैं लेकिन लोग इन लक्षणों को आम समझ कर इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं जिसकी वजह से उनकी जान पे बन आती है। आइए जानते हैं कि कौन से हैं वो लक्षण जिनपर आपको हमेशा गौर करते रहना चाहिए।

दिल की अच्छी सेहत के लिए आपको हमेशा आपको सेहतमंद खानपान और व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा आपकी नज़र अपनी सेहत पे भी बनी रहनी चाहिए। तकनीकी रूप से हार्ट अटैक तब आता है जब हार्ट का कोई हिस्सा ब्लॉक हो जाता है एवं हार्ट को ऑक्सीजनयुक्त रक्त नहीं मिल पाता। ऐसे में तुरंत इलाज न मिलने पर मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है।

हमारे दिल की सेहत में हुए बदलाव को जिस लक्षण के रूप में पहचाना जा सकता है वह है थकान। थकान से यहाँ अभिप्राय है कि बिना श्रम करे अथवा मामूली कार्य करने में भी यदि अक्सर थकान महसूस करते हैं तो यह एक चिंता का कारण हो सकता है। यदि अपने पर्याप्त मात्रा में भोजन किया हो तथा नींद भी भरपूर ली हो तब भी यदि आपको थकान महसूस हो तो यह सामान्य बात नहीं है।

दूसरा लक्षण है बेवजह नींद उचटना। यदि बार-बार आप नींद से जाग जाते हैं तो यह आपके अवचेतन का आपको जताने का एक तरीका है कि आपके शरीर के साथ कुछ ठीक नहीं है। ऐसे में बार-बार आपको लग सकता है कि आपको बाथरूम जाना है अथवा आपको बार-बार प्यास लगने के कारण उठना पड़ता है।

अन्य लक्षण जो कि हार्ट की किसी समस्या को इंगित करता है वह है हांफ भर आना। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पति उस परिस्थिति में ऐसा होता है। इसके अलावा अक्सर आपको गहरी सांस लेने की भी आवश्यकता महसूस होती है।

सामान्य भोजन करने के पश्चात् भी यदि आपको अपच की शिकायत रहती है तो यह भी आपके दिल की सेहत से जुड़ा मामला हो सकता है।

यदि आप इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं तो आज ही आपको सजग हो जाना चाहिए। हमारी सेहत का ख्याल रखना हमारा परम कर्तव्य है। बिना समय गंवाए अपने दिल की जाँच कराएं और आवश्यक उपचार करें।
Source - http://www.swasthya-sanjivani.in/2017/01/heart-attack-warning-before-one-month.html?a=1

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