Thursday, November 10, 2016

प्लास्टिक हमारे लिये हर हाल में हानिकारक है।


दोस्तों,
रोज मर्रा की जिंदगी में हम प्लास्टिक और प्लास्टिक से बनी कई चीजो का इस्तेमाल करते है, प्लास्टिक को तो हमने जरुरत बना लिया है।
हम में से कईयो को इसके हानिकारक प्रभाव पता है फिर भी हम आम तौर पर इसका इस्तेमाल करते है।  यह प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक है ये सब जानते है, लेकिन क्या आपको पता है की प्लास्टिक थैली, प्लास्टिक की पानी की बोतल के अलावा भी कई ऐसे उत्पाद है जो प्लास्टिक से बनते है। इस प्लास्टिक में भरी धातु (हेवी मेटल) जैसे कि लेड कैडमियम क्रोमियम ईत्यादि, थैलेट, बिस फेनॉल ए जैसे हानिकारक तत्व पाए जाते है।  
जिनके घरो में छोटे बच्चे है (लगभग ३-५ साल के ) उनके यहाँ आम तौर पे फीडिंग बोतल (दूध पिलाने की बोतल) और सिपर (पानी पिलाने की बोतल) पाया जा सकता है।

दोस्तों, अगर यह उत्पाद आपके घरों में है या आपके बच्चो के लिए खरीदना चाहते है तो सावधान हो जाईये, इस उत्पाद में बिस फिनॉल ऐ  (Bis Phenol A) यह एंडोक्राइन डिसराप्टिंग केमिकल (Endocrine Disrupting Chemicals)  याने EDCs  जो एक hormone disruptor है वो बच्चो को हानि पंहुचा सकता है।

बच्चो में मुख्य तौर पर निचे दी गयी बीमारिया ला सकता है
      ·         Heart disease
·         Diabetes
·         Brain function/Memory/ Learning
·         Asthma
·         Early development in children
·         Obesity especially in young children
अभी तो भारतीय मानक संसथान (BIS)  Bis Phenol A के लिए मानक तय किया है, और इसका इस्तमाल बच्चो के इन दो उत्पादों में वर्जित बताया है।  
आपको अपने बच्चो के लिए BPA free लिखे हुए जाने मने ब्रांड के ही उत्पाद  चाहिए, हो सकता है की  भारतीय मानक संसथान (BIS) की सूचना के बाद भी Bis Phenol A मिश्रित उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो, तो सावधान हो जाईये। 
अपनी समझदारी अपने बच्चो को और पर्यावरण को स्वस्थ रख सकती है। 

धन्यवाद्।  
आपका 
डॉ प्रशांत राजनकर 
९६५०७४५९०० 
prashantrajankar@gmail.com 

Monday, November 7, 2016

घरो में लगने वाले रंगों में सीसा का इस्तमाल के लिए कानून लागू ।

घरो में लगने वाले रंगों में सीसा का इस्तमाल के लिए कानून लागू ।  

आजकल हम घरो की सजावट में रंगों का काफी इस्तेमाल करते है, पेंट कंपनिया भी लगातार नए नए किस्म के पेंट्स को बाजार में ला रही है।  २००९ के पहले पहले जो इनेमल पेंट (जो की पेंट की एक केटेगरी है) उसमे सीसा का बहोत ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल होता था।  यह सीसा काफी खतरनाक हो सकता है, इसे क्यों मिलाते है और इससे क्या हानि हो सकती है इसके बारे में, मैं पहले ही लिख चूका हु, जो निचे की लिंक में विस्तृत है। 

http://prashantrajankar.blogspot.in/2016/06/use-lead-safe-paint.html

टॉक्सिक्स लिंक (www.toxicslink.org) संस्था लगातार इस विषय पर अध्ययन कर रही थी, २००६ - २०१६ तक के लगातार प्रयासों से, आखिरकार संस्थान को ये सफलता प्राप्त हुई है, जो की संस्थान और देश के नागरिको एवं नयी पीढ़ी के हिट में है।  

पहले देश में रंगों (इनेमल पेंट) में सीसा मिलाने की मात्रा १००० मि ग्रा. / किलो ग्राम. इतनी थी और वो भी अनिवार्य नहीं थी, फिर वो मात्रा ९०  मि ग्रा. / किलो ग्राम. पे आयी, और टॉक्सिक्स लिंक संस्था  के  लगातार प्रयासों पर्यावरण, वन और जलवायु  मंत्रालय (http://envfor.nic.in/) ने २०१६ में यह कानून लागू दिया है, जिसमे ९०  मि ग्रा. / किलो ग्राम यह मात्रा अनिवार्य कर दि गयी है।  

निचे की लिंक में विस्तृत है।
http://envfor.nic.in/sites/default/files/gazete%20notification_%20lead%20in%20paints.pdf

अब देखना है की पेंट कंपनिया इसको कबसे उपयोग में लती है।  

आपका 
डॉ. प्रशांत राजनकर 
९६५०७४५९०० 

Delhi pollution: Wait till Wednesday for clear sky, says Met Department

The forecast comes after poor visibility of less than 500 metres during 21 hours on Saturday and Sunday due to fog and smog, according to the IMD website.

Delhi residents can now hope to see a clear sky only on Wednesday, with the India Meteorological Department (IMD) forecasting dense fog for Monday, and dense to moderate fog the day after. IMD’s forecast for Wednesday is “mist in the morning followed by clear sky”.
The forecast comes after poor visibility of less than 500 metres during 21 hours on Saturday and Sunday due to fog and smog, according to the IMD website.
On Sunday, Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal had said that the burning of crops in neighbouring states was one of the main reasons for the sharp dip in the capital’s air quality. Images from NASA’s Fire Mapper also show that the number of fires in areas surrounding Delhi has been rising consistently over the last week.
The System of Air Quality and Weather Forecasting and Research (SAFAR) has forecast that the concentration of Particulate Matter (PM) 2.5 in the air on Monday would be a high 613 micrograms per cubic metre — it was 588 micrograms per cubic metre on Sunday.
According to Met officials, the wind levels are expected to “remain calm” for at least two more days although the temperature would continue to drop — both conditions are favourable for the accumulation of pollutants.
According to Met officials, low wind speed, high humidity and low temperature are typical conditions that lead to the formation of smog.
“Wind speed on Sunday was in the range of 1.5 metres per second to 0.3 metres per second  — much lower than what is usually seen during this time of the year. Humidity levels are also unusually high with the peaks touching 95 per cent daily. Winters are supposed to be windy and dry. This year, the weather is unusual and is aiding the accumulation of pollutants,” said an official.
Officials said that wind speed started dropping from Diwali night, when the peak reached 2.5 metres per second. “Since then, it has consistently dropped and Sunday saw day-time wind speed plummet to 1 metre per second at some places,” said an official.
Source - http://indianexpress.com/article/india/india-news-india/delhi-pollution-clear-sky-only-on-wednesday-says-met-department/

Wednesday, October 26, 2016

मनाये स्वस्थ दिपावली इस बार हर बार !!

दिपावली हम भारतीयों के लिए एक महत्व पूर्ण त्यौहार है।  आप और हम सभी इसे बड़े ख़ुशी से मनाते है।  हर कोई इसे अपने तरीके से अच्छे से मनाने की कोशिश करता है।  नए नए वस्त्र, रंग रोगन, साज़ सजावट, अलग अलग व्यंजन, अलग अलग पटाखे, दोस्तों से मिलना और त्यौहार का लुत्फ़ उठाना।  

पर इस  ख़ुशी भरे त्यौहार में हमे पर्यावरण को नहीं भूलना चाहिए। मौज  मस्ती  के साथ साथ पर्यावरण भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।  

मेरी सीधी बात पटाखे और पर्यावरण प्रदुषण  से जुडी है।  अक्सर ये देखा गया है की दिवाली के सीजन में हवा के प्रदुषण का स्तर आम दिनों से ज्यादा पाया गया है।  मुख्य कारण हमारे जलाये हुए पटाखे होते है, क्योंकि उसमे भरा हुआ बारूद कई रसायनों से बनता है जिसमे मुख्य तौर पर 
सल्फर, चारकोल और पोटैशियम नाइट्रेट होता है।  

जब ये बारूद या पटाखा  जलता है तो उसमे से पर्यावरण को प्रदूषित करने वाला सल्फर डाइऑक्साइड निकलता है और छोटे छोटे कण जिसको पार्टिकुलेट मैटर  भी कहते है वो भी फ़ैल जाते है।  

दिवाली में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा कई गुना ज्यादा पाई जाती है जो की मानक के तौर पर २४ घंटो में १ क्यूबिक मीटर में ८० माइक्रो ग्राम इतनी होनी चाहिए।  
और पार्टिकुलेट मैटर (२.५ ) जो  २४ घंटो में १ क्यूबिक मीटर में ६० माइक्रो ग्राम जो की इतनी होना चाहिए, वो भी कई गुना  है।  

यह दोनों हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। जिससे हमे साँस की बीमारिया (अस्थमा) हो सकती है। अगर हमे इससे बचना है तो पटाखों को दूर रखना चाहिए वरना खुशहाल दिवाली  के बाद  हमे अस्पताल चक्कर लगाने पड सकते है।  

अगर पटाखे जलने ही है तो छोटे बच्चो को दूर रखे ताकि प्रदूषित हवा उनके शरीर में न जाये, आप भी नाक और मुँह ढके ताकि इससे बच सके।  

आइये एक कोशिश करते है की इस दिपावली में  हम कम से कम पटाखे जलाएंगे और पर्यावरण को बचाएंगे  और स्वस्थ दिपावली मनाएंगे।  

आपका दोस्त,
डॉ. प्रशांत राजनकर 




Tuesday, October 25, 2016

खुशियो भरी और सेहतमंद दिवाली आप सभी को मुबारक हो !

दोस्तों,
आप सभी को दिवाली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !
दिवाली जैस त्यौहार और मौज मजा न हो ऐसा हो  नहीं सकता। 
हम हर तरह से दिवाली को खूबसूरत तरीके से मनाने की कोशीश करते है, जिसमे हम रंग रोगन, घर सजावट करते है, और मिठाई, पटाखे ये सब का लुत्फ़ उठाते है।  
पर जरा सावधान हो जाईये क्योंकि पटाखों से तो पर्यावण प्रदूषित होता ही है और हमारी सेहत भी ख़राब हो सकती है। उसी तरह मिठाई में भी मिलावट हो सकती है। 

दोस्तों हम कितनी भी कोशिश  लेकिन  दोनों मामलो में हम अपने आप को रोक नहीं सकते है।  
तो क्या हम इससे बच सकते है, जवाब देना जरा मुश्किल है, लेकिन कोशिश तो कर ही सकते है 

तो जब हम पटाखे ख़रीदे तो बहोत ज्यादा आवाज वाले और बहोत धुंआ करने वाले  पठाखे न ख़रीदे तो अच्छा है, 
जैसे अनार, चक्कर, फुलझड़िया, यह अगर बड़े आकर के है तो जाहि है इसमें बारूद भी ज्यादा होगा, ज्यादा समय तक चलेगा तो इसमें से धुंआ भी ज्यादा निकलेगा, जो की अस्थमा वाले मरीजो के लिए एक बही बड़ा खतरा हो सकता है।  तो अगर ऐसे पठाखे ख़रीदना ही है तो छोटे आकर वाले खरीदने चाहिए और खुले मैदान में जलाया जाये और अस्थमा, जिनको साँस लेने की बीमारी है, छोटे बछो आदि को इस वातावरण से दूर रखे। 

फुलझड़ियों के  मामले में जो बारूद के रंग वाली होती है, उसे ही खरीदना चाहिए क्योकिं रंगीन वाली फुलझड़ियो से बहोत ही ज्यादा धुंआ फैलाता है और ये छोटे बच्चो के लिए काफी हानिकारक हो सकता है, इससे आखो में जलन और साँस की भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन बारूद के रंग वाली फुलझड़िया थोड़ी ठीक होती है और मजेदार भी होती है।  

जैसे पठाखो से सेहत ख़राब हो सकती है वैसे ही मिठाई से भी मामला बिगड़ सकता है।  
मिठाईयो की मांग को देखते हुए और उसकी पूर्ति करने हेतु काफी ज्यादा मात्रा में दूध में मिलावट की संभावना होती है,  इससे पहचानना और बचना लगभग मुश्किल है, ऐसे में जो आपके जानने वाले मिठाई वाले है या जो बहोत ही नामचीन मिठाई वाले उनसे ही मिठाई ख़रीदे।  

तो दोस्तों मैं  आशा करता हु की इस बार की आपकी  दिवाली खुशियो भरी और और सेहतमंद हों।

धन्यवाद् !
आपका दोस्त,
डॉ. प्रशांत राजनकर  



Wednesday, October 19, 2016

UNSAFE TIN CANS

Dear All,

Recently I came across the news that in a hospital two patients were died due to LEPTOSPIROSIS, it is a bacterial disease that affects humans and animals. It is caused by bacteria of the genus Leptospira.

In humans, it can cause a wide range of symptoms, some of which may be mistaken for other diseases. Some infected persons, however, may have no symptoms at all.

Without treatment, Leptospirosis can lead to kidney damage, meningitis (inflammation of the membrane around the brain and spinal cord), liver failure, respiratory distress, and even death.

These patient drunk beverages from the Tin Cans (they drunk directly from the Can and not used a glass or a cups). It was found that these thin cans were infected with dried urine of Mice containing Leptospira (it is an infective organism). 

From further investigation, it was observed that the cans were stored in warehouse and delivered to retail stores without cleaning and the top of the all beverage cans were contaminated than public toilets. 

So clean Top end of Can with water before opening and putting your mouth to it.


Thanks 


Dr. Prashant Rajankar

reference - https://www.cdc.gov/leptospirosis/

Friday, October 7, 2016

Beware Women - Your Hand Bags Might Transport DISEASES !!

Dear Friends,

I got this message on my Whatsapp, This is really an important message and we much think about it.

HANDBAGS, Briefcases and Gym Bags...... 

Have you ever noticed girls who set their handbags on public toilet floors, then go directly to their dining tables and set it on the table? Happens a lot!

It's not always the 'restaurant food' that causes stomach distress. Sometimes 'what you don't know will hurt you!'

Read on.
Women carry handbags everywhere; from the office to public toilets to the floor of the rooms to the kitchen tables.

We, at Nelson Laboratories in Salt Lake, we set out to test the average woman's handbag.

It turns out handbags are so surprisingly dirty, even the microbiologist who tested them was shocked.



Microbiologist Amy Karen of Nelson Labs says nearly all of the handbags tested were not only high in bacteria, but high in harmful kinds of bacteria.
  • Pseudomonas can cause eye infections; 
  • Staphylococcus aureus can cause serious skin infections and 
  • Salmonella and E. coli found on the handbags could make people very sick.

In one sampling, four of five handbags tested positive for salmonella, and that's not the worst of it. 'There is faecal contamination on the handbags' says Amy. Leather or vinyl handbags tended to be cleaner than cloth handbags, and lifestyle seemed to play a role.

People with kids tended to have dirtier handbags than those without, with one exception.
The handbag of one single woman who frequented nightclubs had one of the worst contamination of all.

'Some type of faeces or possibly vomit,' says Amy.

So the moral of this story is that your handbag won't kill you, but it does have the potential to make you very sick if you keep it on places where you eat. Use hooks to hang your handbag at home and in toilets, and don't put it on your desk, a restaurant table, or on your kitchen countertop.

Experts say you should think of your handbag the same way you would a pair of shoes.

'If you think about putting a pair of shoes on your countertops, that's the same thing you're doing when you put your handbag on the countertops.'

Your handbag has gone where individuals before you have walked, sat, sneezed, coughed, spat, urinated, emptied bowels, etc!

Do you really want to bring that home with you?
The microbiologists at Nelson also said cleaning a handbag will help. Wash cloth handbags and use leather cleaner to clean the bottom of leather handbags.

THIS IS WORTH SHARING!!!

Photo curtsy -science.howstuffworks.com 

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