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Wednesday, October 26, 2016

मनाये स्वस्थ दिपावली इस बार हर बार !!

दिपावली हम भारतीयों के लिए एक महत्व पूर्ण त्यौहार है।  आप और हम सभी इसे बड़े ख़ुशी से मनाते है।  हर कोई इसे अपने तरीके से अच्छे से मनाने की कोशिश करता है।  नए नए वस्त्र, रंग रोगन, साज़ सजावट, अलग अलग व्यंजन, अलग अलग पटाखे, दोस्तों से मिलना और त्यौहार का लुत्फ़ उठाना।  

पर इस  ख़ुशी भरे त्यौहार में हमे पर्यावरण को नहीं भूलना चाहिए। मौज  मस्ती  के साथ साथ पर्यावरण भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।  

मेरी सीधी बात पटाखे और पर्यावरण प्रदुषण  से जुडी है।  अक्सर ये देखा गया है की दिवाली के सीजन में हवा के प्रदुषण का स्तर आम दिनों से ज्यादा पाया गया है।  मुख्य कारण हमारे जलाये हुए पटाखे होते है, क्योंकि उसमे भरा हुआ बारूद कई रसायनों से बनता है जिसमे मुख्य तौर पर 
सल्फर, चारकोल और पोटैशियम नाइट्रेट होता है।  

जब ये बारूद या पटाखा  जलता है तो उसमे से पर्यावरण को प्रदूषित करने वाला सल्फर डाइऑक्साइड निकलता है और छोटे छोटे कण जिसको पार्टिकुलेट मैटर  भी कहते है वो भी फ़ैल जाते है।  

दिवाली में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा कई गुना ज्यादा पाई जाती है जो की मानक के तौर पर २४ घंटो में १ क्यूबिक मीटर में ८० माइक्रो ग्राम इतनी होनी चाहिए।  
और पार्टिकुलेट मैटर (२.५ ) जो  २४ घंटो में १ क्यूबिक मीटर में ६० माइक्रो ग्राम जो की इतनी होना चाहिए, वो भी कई गुना  है।  

यह दोनों हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। जिससे हमे साँस की बीमारिया (अस्थमा) हो सकती है। अगर हमे इससे बचना है तो पटाखों को दूर रखना चाहिए वरना खुशहाल दिवाली  के बाद  हमे अस्पताल चक्कर लगाने पड सकते है।  

अगर पटाखे जलने ही है तो छोटे बच्चो को दूर रखे ताकि प्रदूषित हवा उनके शरीर में न जाये, आप भी नाक और मुँह ढके ताकि इससे बच सके।  

आइये एक कोशिश करते है की इस दिपावली में  हम कम से कम पटाखे जलाएंगे और पर्यावरण को बचाएंगे  और स्वस्थ दिपावली मनाएंगे।  

आपका दोस्त,
डॉ. प्रशांत राजनकर 




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