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Saturday, June 25, 2016

सीसा रहित पेंट का इस्तमाल करे - Use Lead Safe Paint

दोस्तों नमस्कार !!

स्वास्थ ही धन की इस कड़ी मे एक और विषय के बारे में लिख रहा हु।

कुछ महीनो पहले आपने मैग्गी में लेड (सीसा /Lead ) के बारे में बहोत सुना होगा, और आशचर्य भी हुआ होगा.
उसी तरह कई और ऐसे प्रोडक्ट्स है जिसमे भी सीसा का इस्तेमाल होता है।

एक कॉमन प्रोडक्ट है, हमारे घरों में लगने वाले इनेमल पेंट. २००९ के पहले देश की कई नामी कम्पनिया इसका इस्तेमाल अपने प्रोडक्ट्स में करते थे, अब आप सोच रहे होगे की पेंट में सीसा का इस्तेमाल क्यों होता है और वो हानिकारक कैसे हो सकता है?

शीशे का इस्तेमाल 

  • पेंट को ग्लॉसी बनने के लिये
  • पेंट को बैक्टीरिया या फंगस से बचाने के लिए 
  • ज्यादा दिन तक टिकाऊ बनने के लिए 
  • अच्छा स्प्रेड होने के लिए 
कुछ वक़्त पहले अन्य विकसित देशो की तुलना में हमारे देश में पेंट में सीसा की मात्रा का काफी इस्तेमाल होता था । अब मुश्किल ये है की जब हमारा घर रेनोवेशन के लिए आता है तो उस वक़्त आजकल पेंटर पहले पुराना पेंट को निकाल के दूसरा पेंट लगाने की सलाह देते है, और वो पुराने पेंट को घिस कर निकालते है । इस वक़्त अगर पुराने पेंट  में  सीसा की मात्रा काफी होगी तो, वो घिसाई के मिल जाती है और, अगर उस वक़्त हम घर में है तो हमारे शरीर में पहुंच जाती है, ये हमारे लिए और ख़ास कर छोटे बच्चों के लिया बहुत ही हानिकारक है । 
इससे, 

  • अस्थमा 
  • बच्चों के आय क्यों लेवल पे फर्क पड़ता है (२-५ काम हो सकता है )
  • सेंट्रल नर्वस प्रणाली को प्रभावित करता है 
  • स्कूल में / पढाई में ध्यान न लगना 
  • और कई अन्य बीमारिया हो सकती है 
  • अगर आपके बच्चों में इस तरह की कुछ शिकायत है तो अपने बच्चे के खून में सीसा की जाँच कराये।
  • सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) ने 5 micrograms per deciliter इतनी मात्रा तय की है और इससे ज्यादा मात्रा पायी गयी तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए 
सुनने में थोड़ा अजीब लगता है की पेंट में मिला हुआ सीसा हमारे शारीर में इस तरह से पहुंच के हांनी पहुचाएगा लेकिन कई ऐसी रिसर्च इसका सबूत है । 

WHO ने भी इस विषय को काफी गंभीरता  से लिया है 

इसीलिए जब भी आप अपने  घरो के लिए ख़ास कर बच्चों के रूम के लिए पेंट  ले तो वह Lead Safe Paint / Lead  Free  Paint या फिर जिसमे ९० पीपीएम से कम मात्रा में सीसा का इस्तेमाल हुआ है वो वाले पेंट ले.  पेंट के डब्बो पे नो एडेड लीड  (no added lead ) देखे । 

हमारी संस्था (www.toxicslink.org )  लगातार प्रयास से देश की नामी कम्पनिया अभी सिमित मात्रा में इस्तेमाल कर रहे  है लेकिन कुछ (लगभग २०००) छोटी कम्पनियाँ भी हमारे देश में अभी ९० पीपीएम से कम मात्रा में सीसा का इस्तेमाल  कर रही है । 
Report 2013 

देश में  इस साल mandatory standard  (९० पीपीएम )  बन रहा है इससे 


और कुछ लिंक्स जो इसके बारे में और विस्तार से बताती है 
Economic Loss (I am quoted in this news)


नोट - २००० के पहले देश में पेट्रोल में भी शीसे का इस्तेमाल होता था, लेकिन पर्यावरण में फिर शीसे का बहोत गया और उससे काफी बीमारिया भी हुई थी तो उसको पेट्रोल से निकाल दिया, और अभी हमें सीसा रहीत  पेट्रोल ही मिलता है । 


आपका 
डॉ. प्रशांत राजनकर 














Monday, June 20, 2016

निकामी झालेल्या सी. एफ. एल. व ट्युब लाईट ठरू शकतात हानिकारक

मित्रहो, 


प्रत्येक सी. एफ. एल. आणि  ट्युब लाईट मध्ये प्रकाश उत्पादन करण्यासाठी पार ह्या धातूचा वापर केला जातो. पारा हा फ्लुरोसेंत लाईट मधला महत्वाचा भाग आहे. पारा हा जड धातू (heavy metal) मानला जातो. विश्व स्वस्थ संगठ्नेने  (WHO) सुद्धा पारयाला विषारी धातू म्हणून घोषित केलेले आहे. 

हा धातू सामान्य तापमानास द्रव रुपात असतो तर थोड्या ज्यास्त तापमानाला तो वायूत रुपांतरीत होतो. जो आपल्या श्वासातून शरीरात गेल्यावर खूप हानिकारक ठरू शकतो.  

सी. एफ. एल. किंवा ट्युब लाईट च्या वापराने विजेची बचत होते हे खरे पण जर ज्यास्त पारा असलेले सी. एफ. एल. किंवा ट्युब लाईट वापरले आणि वापरून झालेले बल जर अपघाताने बंद खोलीत फुटले तर त्यात असलेल्या पा-या मुले आपल्याला, खासकरून लहान मुलांना व पर्यावरणाला धोका होण्याची शक्यता जास्त आहे. 

जर लहान मुले ह्या पारयाच्या संपर्कात आली तर पारा त्यांच्या शरीरात जाऊन काही इंद्रियांवर घातक परिणाम करू शकतो, त्याचबरोबर, स्मरणशक्ती कमी होणे, विचार करण्याची क्षमता कमी होणे, बुध्यांक कमी होणे ह्या सारखे दुष्परिणाम उध्भवण्याची शक्यता असते. 

म्हणूनच सी. एफ. एल. किंवा ट्युब लाईट ह्यांचा वापर करणे जरी योग्य असले तरी उपयोगानंतर, निकामी झालेल्या सी. एफ. एल. व ट्युब लाईट चे प्रबंधन करणे महत्वाचे झाले आहे. अजूनही भारतात ह्यासाठी काही तंत्रज्ञान नाही. काही सरकारी संस्था निकामी झालेल्या सी. एफ. एल. व ट्युब लाईट चे प्रबंधन कसे करायचे ह्यासाठी काम करीत आहे. *



*
*आपला
*डॉं. प्रशांत राजनकर, *

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