दोस्तों,
खिलौने किसे पसंद नहीं है, बच्चो के साथ साथ बड़े भी इसका लुत्फ़ उठाते है। बच्चों के खिलौने एक ऐसी चीज है जिनसे वह कुछ न कुछ सीखते है, पहले लकड़ी के खिलौनों का काफी चलन था, पर समय के साथ- साथ प्लास्टिक का भी इस्तेमाल खिलौनों को बनाने में होने लगा है, आजकल इसका भारतीय बाजार करीब करीब 400 मिलियन डॉलर का है, खैर बाजार का हमें ज्यादा कुछ करना नहीं है, खास बात यह है की कंपनिया (सस्ते खिलौने बनाने वाली) या पडोसी देश जिनसे हम यह खिलौनों को आयात करते है वह लोग सस्ते प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे है। शायद नए प्लास्टिक को खरीदना महंगा हो सकता इसीलिए वो सस्ता प्लास्टिक खरीदते है, लेकिन उस सस्ते प्लास्टिक में कुछ रीसाइकल्ड प्लास्टिक भी हो सकता है, और प्लास्टिक में हानिकारक रसायन मिला हुआ प्लास्टिक भी होने की सम्भावना हो सकती है जैसे की इलेक्ट्रॉनिक कचरे से आया हुआ प्लास्टिक (इलेक्ट्रॉनिक चीजे बनाते वक़्त उन्हें शॉट सर्किट से एकदम से आग न लगे इसलिए BFR नामक रसायन मिलाया जाता है, BFR - Brominated Flame Retardant), यह रसायन हमारे लिए और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
अभी कुछ समय पहले एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन किया गया जिसमे हमारे देश से भी कुछ सैम्पल्स भेजे गए थे, उसमे BFR रसायन के कुछ अंश पाए गए। इससे यही अनुमान लगाया जा सकता है की वह खिलौनों बनाते वक़्त ऎसे प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया जिसमे BFR पहले से मौजूद था याने की वह प्लास्टिक सही नहीं था, इलेक्ट्रॉनिक कचरे से रीसाइकल्ड किया भी होने की आशंका है।
अगर ऐसे रसायन भरे खिलौनों हम अपने बच्चों को दे रहे है तो हम उन्हें उन्हें एक प्रकार से जेहरीले खिलोने दे रहे है, बच्चों की यह आदत भी होती है की वो उसे मुँह में भी डालते है जिससे की खिलौने में घुले रसायन उनके शरीर में जाकर उन्हें अस्वस्थ बना सकते है। ऐसे खिलौनों को खरीदने से हमे बचना चाहिए।
उन्ही खिलौनों को चुनिए जो नियमो के तहत बनाये गए है और जिसमे यह भी लिखा हो की यह बच्चों के लिए सुरक्षित है।
हमारी यह समझदारी अपने बच्चों को स्वस्थ रख सकती है।
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आपका दोस्त
डा प्रशांत राजनकर
9650745900