नमस्कार दोस्तों,
सुन्दर दिखना किसे अच्छा नहीं लगता? जवाब है सभीको,
तो सुन्दर दिखने के लीये हम तरह तरह के प्रयोग करते है। जिसमे के एक है कॉस्मेटिक का इस्तेमाल।
आये दिन बाजार में अलग अलग तरह के काफी कॉस्मेटिक मौजूद है। आज मै बात करने जा रहा हु ऐसे कॉस्मेटिक्स की जो हम लोग चेहरे को सुन्दर बनाने ले लिए इस्तेमाल करते है जैसे की स्क्रब और फेस वाश। पर क्या आपको पता है की कुछ प्रोडक्ट्स जो हमे सुन्दर बनाते है वो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते है? जी हां दोस्तों, अभी अभी हमारी संस्था टॉक्सिक्स लिंक (www.toxicslink.org) के अध्यन से यह पता चला है की हमारे देश में कुछ कास्मेटिक्स में सूक्ष्म-प्लास्टिक (Micro Plastic) का इस्तेमाल पाया है।
यह सूक्ष्म-प्लास्टिक (Micro
Plastic/microbeds ) का साइज़ ५ मिली मि से काम होता है और आमतौर पे रबिंग के लिए इस्तेमाल करते है। यह प्लास्टिक अनेक प्रकार के हो सकते है जैसे की बोतल बनाने वाला प्लास्टिक, पाईप बनाने वाला प्लास्टिक या और कोई प्रकार आम तौर पे यह इंसानो के लिए कितने हानिकारक है इसका अभ्यास अभी चल रहा है लेकिन यह पर्यावरण के लिए जरूर खतरा बन रहे है। जैसे की कॉस्मेटसिक्स का इस्तेमाल करने के बाद यह धोया जाता है और वह हमारे नालियों में पहुँचता है और वहा से आगे नदियों में और समुन्दर में चले जाते है। (यह इतने सूक्ष्म होते है की ट्रीटमेन्ट प्लांट में से भी यह निकल सकते है।) और कई और जगह से भी यह पर्यावरण में आ सकते है।
कई अभ्यास से यह पता चला है की समुंदर में प्लास्टिक की मात्रा बहोत बढ़ रही है, कई एजेंसियो का मानना है की कुछ वर्षो में इसका स्तर मछलियों से ज्यादा हो सकता है।
इससे यह भी हो सकता है की नदियों में समुन्दर में और भी हानिकारक तत्व इस्पे चिपक सकते है और मछलियों को यह अपना अन्न लग सकता है तो जाहि है की मछलिया उसे खायेगी और जैसे जैसे bio-magnification ( बड़ी मछली छोटी मछली को खायेगी) होगा और जो लोग मछलिया या सीफ़ूड कहते खाते है तो हो सकता है की मछलियों द्वारा वह सूक्ष्म-प्लास्टिक (Micro
Plastic/micro-beads ) इंसानो के शरीर में पहुंच सकता है। तो कहानी कॉस्मेटिक और इंसान से शुरू होके इंसान और फ़ूड पे ख़त्म हुई, तो इस तरह पर्यावर के साथ साथ हम भी प्रभावित हो सकते है
हमे ध्यान रखना है की प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करे, सूक्ष्म-प्लास्टिक (Micro Plastic/microbeds ) रहित कास्मेटिक का इस्तेमाल करे और पर्यावरण और खुद को बचाये।
धन्यवाद
आपका दोस्त
डा प्रशांत राजनकर