बैटरी गलाने के कारण दिल्ली की हवा और मिट्टी जहरीली हो रही है। यह काम दिल्ली में सात जगहों पर
किया जा रहा है। इसके कारण आसपास की हवा और मिट्टी में खतरनाक लेड धातु का प्रदूषण फैल रहा
है।
प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
किया जा रहा है। इसके कारण आसपास की हवा और मिट्टी में खतरनाक लेड धातु का प्रदूषण फैल रहा
है।
प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
टॉक्सिक लिंक संस्था ने किया अध्ययन, दिल्ली में सात जगहों पर हो रहा यह काम,
जानलेवा हो सकती है लापरवाही
चिंताजनक : बैटरी गलाने से जहरीली हो रही मिट्टी और हवा
बैटरी गलाने के कारण दिल्ली की हवा और मिट्टी जहरीली हो रही है।
यह काम दिल्ली में सात जगहों पर किया जा रहा है। इसके कारण आसपास की हवा और मिट्टी में
खतरनाक लेड धातु का प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने
अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। .
यह काम दिल्ली में सात जगहों पर किया जा रहा है। इसके कारण आसपास की हवा और मिट्टी में
खतरनाक लेड धातु का प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपने
अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। .
सेहत के लिए जानलेवा : अलग-अलग वाहनों, इंवर्टर और ई-रिक्शा में प्रयोग की जाने वाली बैटरी का अगर सही
तरीके से निस्तारण नहीं किया जाए तो यह लापरवाही सेहत के लिए जानलेवा हो सकती है। बैटरी को गलाने से
होने वाले खतरों पर टॉक्सिक लिंक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली में सात जगहों पर यह काम किया जा रहा है। .
यहां हो रहा यह काम: रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मदनगीर, तुर्कमान गेट, दक्षिणीपुरी,
पहाड़गंज और तीसहजारी में पुरानी बैटरी गलाकर उसमें से लेड निकालने का काम होता है। वहीं गाजियाबाद में
लालकुआं, डासना-मसूरी, मुरादनगर और मोदीनगर में भी बड़े पैमाने पर यह काम हो रहा है। .
इन राज्यों में भी पहुंची टीम : संस्था की टीम ने दिल्ली के अलावा राजस्थान, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और झारखंड में
भी पुरानी बैटरी गलाने की प्रक्रिया का गहराई से अध्ययन किया है। .
1. बैटरी बनाने वाले ब्रांड को नियमत: पुरानी बैटरी को वापस लेना चाहिए। पुरानी बैटरी कबाड़ीवालों या अन्य
माध्यमों से अनौपचारिक क्षेत्र में पहुंच जाता है। जहां असुरक्षित तरीके से इसे गलाकर लेड निकाला जाता है,
जिससे हवा और मिट्टी प्रदूषित हो रही है। प्रीती महेश, मुख्य कार्यक्रम समन्वयक, टॉक्सिक लिंक
2. यह है नुकसान बैटरी गलाने से मिट्टी और हवा में खतरनाक भारी धातु (हैवी मैटल) लेड के कण घुल-मिल जा रहे हैं।
इसका धुआं मानव मस्तिष्क, किडनी, फेफड़े आदि के लिए बेहद खतरनाक है।
इसका दुष्परिणाम इस काम में लगे लोगों के अलावा आस-पास रहने वालों को भी झेलना पड़ता है।